Pages

Followers

Tuesday, January 29, 2013

mere geet mujhe lautaa do....

मेरे गीत मुझे लौटा दो .......

तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

गाये थे जो संग तुम्हारे
मधुर क्षणों में
गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

चन्दा की वह मधुर चाँदनी
छत पर जा जब बातें की थी,
चाँदनी, मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

अमुवा की वह छाँव घनी
पवन संग झुला झूले  थे,
छाँव ,मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

तन्हाई में तिल -तिल मरना
और मिलन की इच्छा करना ,
तनहा पल मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

रखा था जब हाथ लबों पे ,
आँखों के दर्पण में चेहरा ,
दर्पण ,मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

छुप कर मिलना ,जग से डरना,
आकर मेरी बाहँ पकड़ना ,
डरने का वह भाव लौटा दो,
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

सावन की रिमझिम
पावों की छपछप ,
छपछप का संगीत लौटा दो ,
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

यादें -वादें,कसमे -रस्मे
झूठे-सच्चे सारे सपने
सब ले जाओ
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

गीतों को सपने सा सजाकर
फिर से गा लूंगा
तन्हाँ मैं आंसू पी लूंगा
मैं जी लूंगा ।
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरे गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूंगा ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

No comments:

Post a Comment