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Saturday, January 19, 2013

mukhauton ki duniya

मुखौटों की दुनिया

मुखौटों की दुनिया मे रहता है आदमी
मुखौटों पर मुखौटें लगाता  है आदमी|

बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,
फिर नया मुखौटा लगाता है आदमी|

मुखौटों के खेल मे इतना माहिर है आदमी,
गिरगिट को भी रंग दिखाता है आदमी|

शैतान भी लगाकर इंसानियत का मुखौटा,
आदमी को छलने को तैयार है आदमी|

मजहब के ठेकेदार भी अब लगाते है मुखौटे
देते हैं पैगाम,बस मरता है आदमी|

लगाने लगे मुखौटे जब देश के नेता,
मुखौटों के जाल मे,फंस गया आदमी|

जाति,धर्म का जब लगाया मुखौटा,
आदमी का दुश्मन बन गया है आदमी|

देखकर नेताओं का मुखौटा अनोखा,
हैरान और परेशान रह गया है आदमी|

कभी भूल जाता है जब बदलना मुखौटा
शै और मात मे फंस जाता है आदमी|

मुखौटों के खेल मे इतना उलझ गया आदमी
खुद की ही पहचान भूल गया है आदमी|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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