दोस्तों ,
आजकल एक जबरदस्त बहस छिडी है की फाँसी दी जाए या नहीं ,मगर कोई भी यह नहीं कह रहा है की जो लोग निर्दोष लोगों की ह्त्या कर रहे हैं , भारत राष्ट्र के स्वाभिमान पर हमला कर रहे हैं ,क्या उनकी बैठकर आरती उतारी जाए ? प्रशन किसी को फांसी देने या नहीं देने का नहीं बल्कि मुजरिमों को सख्त सन्देश देने का है ।आज अधिकतर राष्ट्र नेता भ्रष्ट्राचार में लिप्त हैं ,अगर कानून का सही पालन हो और समय पर सजा मिलाती तो लोकपाल की कौन बात करता , अर्थात आवश्यकता इस बात की है कि कानून का खौफ मुजरिमों के मन में हो ,चाहे वह कितना भी बड़ा आदमी क्यों ना हो ,. और फांसी भी इसकी ही एक कड़ी है और यह और भी अधिक दर्दनाक यानि सार्वजानिक होनी चाहिए ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
फांसी की सजा उचित है सार्वजनिक होने पर और बेहतर संदेश जाता.
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