जख्म तो भर गए , पर निशाँ बाकी हैं ,
टीस नहीं उठती ,मगर जज्बात बाकी हैं ।
सोचता हूँ भुला दूँ पुरानी अदावतों को,
जुबां के तीर ,मेरे दिल पर अभी बाकी हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
टीस नहीं उठती ,मगर जज्बात बाकी हैं ।
सोचता हूँ भुला दूँ पुरानी अदावतों को,
जुबां के तीर ,मेरे दिल पर अभी बाकी हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
No comments:
Post a Comment