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Tuesday, February 12, 2013

koraa khat

ख़त में तूने कुछ भी ना लिखा ,
यह प्यार की इन्तहां थी तेरी ।
मेरे दिल ने वो सब पढ़ा उसमे ,
जो जज्बात की इन्तहां थी तेरी ।
मैं दौड़ा चला आया सब छोड़कर ,
बेकरारी का मंजर सामने आया ,तेरी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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