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Wednesday, March 13, 2013

bedaag husn

यह बेदाग़ हुस्न और तेरी शोख निगाहें ,
यह लरजते होंठ जैसे मय से भरे प्याले
मैंने कभी किया ना था इस हुस्न का दीदार,
लग रहा है डर कहीं ख़ुशी से मर ना जाऊं मैं ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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