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Saturday, March 9, 2013

marane ke baad

जीते जी जो मिल सका ना ,उनके मरने पर मिल जाएगा ,
जो ख्वाब था मेरा अधूरा , अब फूल सा खिल जाएगा ।

फर्क क्या पड़ता यहाँ पर,इसके या उसके साथ रहें ,
दौलत,पद का साथ होगा ,कोई और भी मिल जाएगा ।

लूट लो जी भर के यहाँ ,यह सियासतों का दौर है ,
हिन्दू और मुस्लिम का लहू , अलग है,ये शोर है ।

कीमतें इंसान की ,धर्म पर आधारित यहाँ ,
न्याय को तरसता कोई,सत्ता चरण धोती यहाँ ।

वीरों के सर की कीमत ,दो लाख लगाकर चल दिए,
आठ दिन बाद आये,आंसू बहाए,मुस्कराकर चल दिए ।

सत्ता का खेल देखकर, आज जर्रा जर्रा रो रहा ,
नौकरियाँ ,पचास लाख ,दुसरे से मुंह घुमाया,चल दिए ।


डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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