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Tuesday, May 28, 2013

apni saza ko tumane

अपनी सज़ा को तुमने महसूस कर लिया ,
हम रोज मरा करते है , तुम जानती ही नहीं ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०

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