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Thursday, May 16, 2013

aurat kaa maan aur sammaan

औरत का मान और सम्मान ,हमारी शान होती है ,
ना जाने क्यूँ औरत ही औरत का अपमान होती है ।
होती हैं उसकी बातें बस पुरुषों के जुल्मों सितम की ,
उनकी जिम्मेदारी वफ़ा ,प्यार का बखान नहीं होती है ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०

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