औरत का मान और सम्मान ,हमारी शान होती है ,
ना जाने क्यूँ औरत ही औरत का अपमान होती है ।
होती हैं उसकी बातें बस पुरुषों के जुल्मों सितम की ,
उनकी जिम्मेदारी वफ़ा ,प्यार का बखान नहीं होती है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
ना जाने क्यूँ औरत ही औरत का अपमान होती है ।
होती हैं उसकी बातें बस पुरुषों के जुल्मों सितम की ,
उनकी जिम्मेदारी वफ़ा ,प्यार का बखान नहीं होती है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
No comments:
Post a Comment