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Monday, May 27, 2013

dr ramesh neelkamal ko shradhanjali



डॉ रमेश चन्द्र नीलकमल के रचना संसार तथा उनसे अनेक बार व्यक्तिगत चर्चा पर आधारित उनकी कृतियों के नामों एवं विचारों को संजोती एक रचना --------


आसान नहीं होता है  ,'कवियों पर कविता' लिखना ,
जग में रह कबीर बन जाना ,कीचड़ में कमल सा खिल जाना ।

होता है कोई नीलकमल , कीचड़ में खिल जाता है
बिना देख-रेख माली के , निज पहचान कराता है ।

कलपुर्जों में जीवन बीता  ,'शब्द कारखाना ' निर्माण किया ,
साहित्य को रमेश प्रसाद ने , एक नया आयाम दिया ।

कभी पूछता 'बोल जमूरे' ,'आग और लाठी ' देखी है ,
कभी खडा 'अपने ही खिलाफ', 'कवियों पर कविता' लिखता है ।

'गमलों  में गुलाब' उगाता , 'राग-मकरंद 'गाता है ,
'अलगअलग देवताओं ' पर , शब्दों के फूल चढ़ाता है ।

'काला दैत्य और राजकुमारी 'की,कथा कहानी कहता है ,
दलित चेतना का प्रतीक ,'नया घासी राम ' बताता है ।

'एक और महाभारत ' को, भविष्य में देख रहा,
'समय के हस्ताक्षर ' बन , पुस्तक में लिख देता है ।

मरने से पहले चाहता ,अपनी एक वसीयत लिखना ,
बिना काष्ठ शब्दों के साथ ,तिल -तिल  जलना चाहता है ।

जीऊं जब तक शब्दों के ,संग मर जाऊं तो शब्दों के संग ,
'किताब के भीतर किताब' सा ,आज सिमटना वह चाहता है ।

तुलसी- सुर सभी बन जाते ,नहीं कबीर कोई बनाता ,
कमल खिले हैं सारे जग में ,'नीलकमल ' कोई खिलता है ।
                                                       (डॉ अ कीर्तिवर्धन )


साहित्य का यह कुशल चितेरा 76  वर्ष की आयु में दिनांक 25 मई 2013 को  हमारे बीच से प्रस्थान कर गया । हिंदी साहित्य जगत को 2 6 मौलिक कृतियों से समृद्ध करने वाले इस महान साहित्यकार की 1 6 सम्पादित पुस्तकें हैं । आप " शब्द कारखाना" तथा "वैश्यवसुधा " जैसी प्रमुख  पत्रिका के संपादक रहे हैं ।
आपके कार्य का मूल्यांकन कराती हुई 1 6 पुस्तकें हैं ,3 शोध प्रबंध भी आपके साहित्य की पड़ताल करते हुए आपके कार्य का समग्र मूल्यांकन करने में सफल रहे हैं ।
आपका जन्म 2 1 नवम्बर 1937 को बिहार के रामपुर डुमरा (पटना) में हुआ था। वर्तमान में आप जमालपुर (बिहार) में निवास करते थे । आपके परिवार में 3 पुत्र व 3 पुत्रिया  हैं ।
उनका श्राद्ध कर्म दिनांक 06 जून को जमालपुर (बिहार ) में किया जाएगा ।

इस दुःख की घडी में अपनी संवेदनाये व्यक्त करता हूँ ।

आपके जाने से यहाँ अँधेरा नहीं होगा ,
आपकी यादों के चिराग हर राह जलाएंगे ,
आपके अन्तश से खिले जो फूल साहित्यासागर में ,
उनकी खुशबू से सारे जग को मह्कायेंगे ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
अध्यक्ष
अखिल भारतीय साहित्य परिषद्
(मुज़फ्फरनगर ईकाई )



   


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