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Friday, May 17, 2013

jaagati aankhon ke sapane

जागती आँखों के सपने सबको दिखाए नहीं ,जाते
ख्वाब उस पल के ,सबको बताये नहीं जाते ।
मंजिल भी खुद हैं हम और मुसाफिर भी खुद हैं ,
मंजिलों के पते सबको समझाए नहीं जाते ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०

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