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Monday, May 6, 2013

main bhi khwab sajaata hun


हाँ मैं भी प्रतिदिन ढेरों ख्वाब सजाता हूँ ,
सूरज की किरण,आशा की जोत जलाता हूँ ।
छलकते हैं आंसू मेरी आँख में ,चाहत के ,
पलकों के बीच उनको छिपा लेता हूँ ।
देखता हूँ ख्वाब तुझे पाने के ,हरदम  ,
तन्हाई में तुझसे बात किया करता हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०

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