मैं पतंगा ,हूँ
शमा पर जान लुटाया करता हूँ ।
रूप रस का लोभी भंवरा नहीं हूँ,
दरिया हूँ प्यास बुझाया करता हूँ ।
मकरंद की तलाश में तितली नहीं ,
दीपक हूँ , अन्धकार मिटाया करता हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन ८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
शमा पर जान लुटाया करता हूँ ।
रूप रस का लोभी भंवरा नहीं हूँ,
दरिया हूँ प्यास बुझाया करता हूँ ।
मकरंद की तलाश में तितली नहीं ,
दीपक हूँ , अन्धकार मिटाया करता हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन ८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
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