मेरी आँखों ने तुझे चाहा हरदम ,
पलकों ने जमाने से छुपाया हरदम ।
कोई तुझे देख ना ले मेरी आँखों में ,
डर से , आँखों को बंद रखा हरदम ।
नहीं चाहते किसी की रुसवाई हो जमाने में ,
कोई बेवजह बदनाम हो ,चाहत के अफ़सानो में ।
इसीलिए आँखें बंद रखते हैं हरदम ,
कोई पढ़ न ले उसकी चाहत मेरी आँखों में ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
पलकों ने जमाने से छुपाया हरदम ।
कोई तुझे देख ना ले मेरी आँखों में ,
डर से , आँखों को बंद रखा हरदम ।
नहीं चाहते किसी की रुसवाई हो जमाने में ,
कोई बेवजह बदनाम हो ,चाहत के अफ़सानो में ।
इसीलिए आँखें बंद रखते हैं हरदम ,
कोई पढ़ न ले उसकी चाहत मेरी आँखों में ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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