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Thursday, May 30, 2013

padhaa tha maine vo sab

पढ़ा था मैंने वह सब ,जो तुमने लिखा ही नहीं था ,
सूना था मैंने वह सब , जो तुमने कहा ही नहीं था ।

कहते हैं नदी ने खुदकशी कर ली ,मिटटी में डूबकर ,
किनारों के लिए यह दर्द , कुछ कम तो नहीं था ।

करता था बेपनाह मोहब्बत ,वो मेरा दीवाना था,
मगर मेरे जनाजे में वो शख्स , आया तो नहीं था  ।

मेरी निगाहें ढूंढ़ रही थी उसको ,जमाने की भीड़ में ,
कहाँ है, कैसा है ? कई रातों से वो सोया ही नहीं था ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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