चाँद अधूरा नहीं होता , गतिशील होता है ,
जिंदगी का हर लम्हा ,गुजरे की तफ्शील होता है ।
क्यूँ रोकते हो तुम , बहते हर दरिया को ,
बहता हुआ दरिया ,प्यासों की जागीर होता है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
जिंदगी का हर लम्हा ,गुजरे की तफ्शील होता है ।
क्यूँ रोकते हो तुम , बहते हर दरिया को ,
बहता हुआ दरिया ,प्यासों की जागीर होता है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment