छाया है जो अक्स ,तुम्हारे दिलों दिमाग पर ,
उसकी दास्ताँ से , तुम्हे मुक्त होना होगा ।
फतह करनी होगी , हर मंजिल कारवाँ की ,
खुदी को अपनी तुम्हे , ऊँचा उठाना होगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
उसकी दास्ताँ से , तुम्हे मुक्त होना होगा ।
फतह करनी होगी , हर मंजिल कारवाँ की ,
खुदी को अपनी तुम्हे , ऊँचा उठाना होगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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