हादसे भी अब तो हद से गुजरने लगे हैं ,
भावनाओं के ज्वार , मन्द पड़ने लगे हैं ।
रोज ही तो कोई हादसा होता मेरे शहर में ,
हादसों से अब तो हादसे भी डरने लगे हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
भावनाओं के ज्वार , मन्द पड़ने लगे हैं ।
रोज ही तो कोई हादसा होता मेरे शहर में ,
हादसों से अब तो हादसे भी डरने लगे हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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