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Tuesday, June 18, 2013

maanaa ki jamaane ne hamako sataayaa

माना की ज़माने ने हमको सताया तो बहुत है ,
मेरी हर राह में अवरोध भी लगाया तो बहुत है ,
मैं मोम था, मोम हूँ , मोम ही बनके रहूंगा ,
पत्थर दिलों की बेरुखी ने रुलाया तो बहुत है ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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