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Monday, June 3, 2013

sangtarash

संगतराश को तुम यूँ ही बदनाम ना करो ,
मैं बेजान पत्थरों में भी जान डाल देता हूँ ।

सन्नाटे की आवाज़ रोज ही सुनता रहा हूँ ,
तराश कर बुत को भी इंसान बना देता हूँ ।

सिसकियाँ ,आहें ,बुजदिली की निशानी हैं ,
मैं पत्थर को भी भगवान बना देता हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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