संगतराश को तुम यूँ ही बदनाम ना करो ,
मैं बेजान पत्थरों में भी जान डाल देता हूँ ।
सन्नाटे की आवाज़ रोज ही सुनता रहा हूँ ,
तराश कर बुत को भी इंसान बना देता हूँ ।
सिसकियाँ ,आहें ,बुजदिली की निशानी हैं ,
मैं पत्थर को भी भगवान बना देता हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मैं बेजान पत्थरों में भी जान डाल देता हूँ ।
सन्नाटे की आवाज़ रोज ही सुनता रहा हूँ ,
तराश कर बुत को भी इंसान बना देता हूँ ।
सिसकियाँ ,आहें ,बुजदिली की निशानी हैं ,
मैं पत्थर को भी भगवान बना देता हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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