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Wednesday, June 26, 2013

tandav -----naren

तांडव
असमान उतरा नीचे
दमदम बाजे डमरू
थयथय शिवा का तांडव
हिल राहा है मेरू
अंधेरे को काट रहै सौदामिनी के शूल
पारवती के आंखो रुद्र कि नीली भूल
तुफानी बहानेसे गंगा राहे
बाहोमे मे चंद्र को लेकर पुरी करती अपनी चाह
मदन का भस्म करके
रुद्र हो गया शांत
धरणी माताके आचल मे
सब एक हो गाय आसमंत

नरेन.................

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