1. मानसिक रुप से अविकसित बालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षित करना।
2. मानसिक एवं ‘ाारीरिक रुप से विकलांग बालकों के लिए उनके ‘ाारीरिक एवं मानसिक दुर्बलताओं को मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रम के आधार पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशिक्षित करना।
3. बहुविकलांगता के क्षेत्र में आने वाले बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उचित प्रशिक्षण प्रदान करना।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में विकलांग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके घर पर जाकर व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना एवं उनके विकास में आ रहे कठिनाईयों को दूर करने का प्रयास करना।
5. ग्रामीण क्षेत्र के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करना तथा अंधे एवं अन्य ‘ारीरिक विकलांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
6. सामान्य एवं असामान्य बालकों को एकीकृत व्यवस्था में सुविधायें प्रदान करने के लिए मनौवैज्ञानिक माडल पर इन्टीग्रेटेड विद्यालय का विकास करना।
7. छात्रो के व्यक्तित्व, बुद्धि, अभिक्षमता एवं रुपियों के आधार पर शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर ‘ौक्षिक व्यावसायिक एवं वैयक्तिक निर्देशन प्रदान करना।
8. ‘ौक्षिक रुप से पिछड़े बालको, समस्याग्रस्त बालकों की समस्याओं का निदान करना एवं निराकरण करना।
9. बालकों के स्वस्थ मानसिक विकास हेतु साहित्य केन्द्रों एवं उनसे सम्बन्धित पुस्तकालयों की स्थापना करना।
10. मानसिक रुप से अविकसित बालकों ‘ाारीरिक रुप से अविकसित बालकों, बहुविकलांगता के क्षेत्र में आने वाले बालकों का मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा विकास एवं निमार्ण करना।
11. सामान्य एवं असामान्य बालकों के विभिन्न क्षेत्रों के मापन के लिए परीक्षण का कार्य करना।
12. विकलांग बालकों को उचित प्रदान करने के लिए कार्यशाला एवं प्रशिक्षण शिविरों का निःशुल्क आयोजन करना।
13. हकलाने, तुतलाने वाले बालकों,व्यक्तियों की समस्याओं को दूर करने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर का संचालन करना।
14. विकलांग बालकों द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाना।
15. विकलांग लोगो को उचित प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर विशेषज्ञों को आमंत्रित कर विशेष शिविरों का आयोजन करना।
16. ग्रामीण क्षेत्रों के विकलांगों के लिए विशिष्ट सेवा का संचालन करना।
17. विकलांगों के सेवार्थ चिकित्सा शिविरों का निःशुल्क आयोजन करना।
18. विकलांगों की सहायतार्थ सहायक सामग्रियों का निर्माण करना।
19. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राइमरी से लेकर स्नातक कक्षाओं की शिक्षा अध्ययन के लिए स्कूल कालेजों की स्थापना, संचालन एवं प्रबन्ध करना।
20. शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण-शिक्षण कार्य हेतु बालक,बालिकाओ,महिलाओं,विकलांगों,पिछड़ी जातियों,अनुसूचित जनजाति एवं वनवासियों के लिए बोर्डिग एवं हास्टलों की स्थापना करना बढ़ाना ,संचालित करना।
21. युवाओं, बालक, बालिकाओं, महिलाओं, समाज से बहिस्कृत, पिछड़ी जातियों, आदिवासी, पहाड़ी क्षेत्रो की जनजाति, विकलांगों आदि के लिए रोजगारपरक सर्टिफिकेट डिप्लोमा कोर्स,पत्राचार पाठ्यक्रम एवं रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अयोजन, प्रबन्धन, संचालन करना जिसके द्वारा इन्हें अधिकाधिक रोजगार प्राप्त हो सके तथा इनके पुनर्वास की व्यवस्था करना।
22. विकलांगों (अन्धे, बहरे, गुंगो, मानसिक, ‘ाारीरिक हैन्डीकैप एवं कुष्ट रोग आदि प्रकार के) लिए शिक्षण-प्रशिक्षण, आवासीय विद्यालयों, व्यवसायिक प्रशिक्षण, व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्रो की स्थापना करना, संचालन करना एवं उनका विस्तार करना तथा इस काय्र के लिए सरकारी गैर सरकारी संस्थाओ, लोगो का सहयोग लेना।
23. समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने हेतु जनजागरण गोष्ठियों कार्यशालाओं तथा बहुआयामी कार्या को करना ताकि सामाजिक बुराईयॉं (जैसे दहेज प्रथा, नशाखोरी, बाल विवाह, बालश्रम आदि) समाप्त की जा सके एवं एक अच्छे समाज की कल्पना को साकार किया जा सकें।
24. लोगो को जागरुक बनाने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, हैण्ड बिल, पम्पलेट, पोस्टर, बैनर दिवाल लेखन प्रतियोगिताओं एवं पुरस्कारों का आयोजन करना तथा उनहें वितरित करना तथा अन्य प्रयास जैसे ‘ाोध कार्य, ‘ाोध लेखन आदि प्रयास भी करना ताकि समाज के लोग अपने अधिकारों कर्तव्यों के प्रति जागरुक हो राष्ट्र एवं विश्व बन्धुत्व की भावना को बनाये रखे।
25. लोक कल्याण भावना से समाज जाति धर्म या सम्प्रदाय के भेद-भाव को भुलाकर सामाजिक कल्याण के लिए विकास कार्य करना एवं पत्र पत्रिकओें का सम्पादन करना।
निबन्धकारणीय समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के नाम पद एवं व्यवसाय जिनको संस्था के नियमों के अनुसार कार्यक्रत सौंपा गया है।
2. मानसिक एवं ‘ाारीरिक रुप से विकलांग बालकों के लिए उनके ‘ाारीरिक एवं मानसिक दुर्बलताओं को मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रम के आधार पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशिक्षित करना।
3. बहुविकलांगता के क्षेत्र में आने वाले बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उचित प्रशिक्षण प्रदान करना।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में विकलांग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके घर पर जाकर व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना एवं उनके विकास में आ रहे कठिनाईयों को दूर करने का प्रयास करना।
5. ग्रामीण क्षेत्र के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करना तथा अंधे एवं अन्य ‘ारीरिक विकलांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
6. सामान्य एवं असामान्य बालकों को एकीकृत व्यवस्था में सुविधायें प्रदान करने के लिए मनौवैज्ञानिक माडल पर इन्टीग्रेटेड विद्यालय का विकास करना।
7. छात्रो के व्यक्तित्व, बुद्धि, अभिक्षमता एवं रुपियों के आधार पर शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर ‘ौक्षिक व्यावसायिक एवं वैयक्तिक निर्देशन प्रदान करना।
8. ‘ौक्षिक रुप से पिछड़े बालको, समस्याग्रस्त बालकों की समस्याओं का निदान करना एवं निराकरण करना।
9. बालकों के स्वस्थ मानसिक विकास हेतु साहित्य केन्द्रों एवं उनसे सम्बन्धित पुस्तकालयों की स्थापना करना।
10. मानसिक रुप से अविकसित बालकों ‘ाारीरिक रुप से अविकसित बालकों, बहुविकलांगता के क्षेत्र में आने वाले बालकों का मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा विकास एवं निमार्ण करना।
11. सामान्य एवं असामान्य बालकों के विभिन्न क्षेत्रों के मापन के लिए परीक्षण का कार्य करना।
12. विकलांग बालकों को उचित प्रदान करने के लिए कार्यशाला एवं प्रशिक्षण शिविरों का निःशुल्क आयोजन करना।
13. हकलाने, तुतलाने वाले बालकों,व्यक्तियों की समस्याओं को दूर करने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर का संचालन करना।
14. विकलांग बालकों द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाना।
15. विकलांग लोगो को उचित प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर विशेषज्ञों को आमंत्रित कर विशेष शिविरों का आयोजन करना।
16. ग्रामीण क्षेत्रों के विकलांगों के लिए विशिष्ट सेवा का संचालन करना।
17. विकलांगों के सेवार्थ चिकित्सा शिविरों का निःशुल्क आयोजन करना।
18. विकलांगों की सहायतार्थ सहायक सामग्रियों का निर्माण करना।
19. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राइमरी से लेकर स्नातक कक्षाओं की शिक्षा अध्ययन के लिए स्कूल कालेजों की स्थापना, संचालन एवं प्रबन्ध करना।
20. शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण-शिक्षण कार्य हेतु बालक,बालिकाओ,महिलाओं,विकलांगों,पिछड़ी जातियों,अनुसूचित जनजाति एवं वनवासियों के लिए बोर्डिग एवं हास्टलों की स्थापना करना बढ़ाना ,संचालित करना।
21. युवाओं, बालक, बालिकाओं, महिलाओं, समाज से बहिस्कृत, पिछड़ी जातियों, आदिवासी, पहाड़ी क्षेत्रो की जनजाति, विकलांगों आदि के लिए रोजगारपरक सर्टिफिकेट डिप्लोमा कोर्स,पत्राचार पाठ्यक्रम एवं रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अयोजन, प्रबन्धन, संचालन करना जिसके द्वारा इन्हें अधिकाधिक रोजगार प्राप्त हो सके तथा इनके पुनर्वास की व्यवस्था करना।
22. विकलांगों (अन्धे, बहरे, गुंगो, मानसिक, ‘ाारीरिक हैन्डीकैप एवं कुष्ट रोग आदि प्रकार के) लिए शिक्षण-प्रशिक्षण, आवासीय विद्यालयों, व्यवसायिक प्रशिक्षण, व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्रो की स्थापना करना, संचालन करना एवं उनका विस्तार करना तथा इस काय्र के लिए सरकारी गैर सरकारी संस्थाओ, लोगो का सहयोग लेना।
23. समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने हेतु जनजागरण गोष्ठियों कार्यशालाओं तथा बहुआयामी कार्या को करना ताकि सामाजिक बुराईयॉं (जैसे दहेज प्रथा, नशाखोरी, बाल विवाह, बालश्रम आदि) समाप्त की जा सके एवं एक अच्छे समाज की कल्पना को साकार किया जा सकें।
24. लोगो को जागरुक बनाने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, हैण्ड बिल, पम्पलेट, पोस्टर, बैनर दिवाल लेखन प्रतियोगिताओं एवं पुरस्कारों का आयोजन करना तथा उनहें वितरित करना तथा अन्य प्रयास जैसे ‘ाोध कार्य, ‘ाोध लेखन आदि प्रयास भी करना ताकि समाज के लोग अपने अधिकारों कर्तव्यों के प्रति जागरुक हो राष्ट्र एवं विश्व बन्धुत्व की भावना को बनाये रखे।
25. लोक कल्याण भावना से समाज जाति धर्म या सम्प्रदाय के भेद-भाव को भुलाकर सामाजिक कल्याण के लिए विकास कार्य करना एवं पत्र पत्रिकओें का सम्पादन करना।
निबन्धकारणीय समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के नाम पद एवं व्यवसाय जिनको संस्था के नियमों के अनुसार कार्यक्रत सौंपा गया है।
No comments:
Post a Comment