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Wednesday, July 3, 2013

aap apni dhapali bazaa rahe hain

विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टियां एक ही बैनर के नीचे ......

आप अपनी ढपली बजा रहे हैं ,
हम अपना राग सुना  रहे हैं ।
सुर है ना लय है और ना ताल है ,
साझा बाजा है ,सब चले जा रहे हैं ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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