अमीरी का खेल ....
गरीबी में सामूहिक जीवन जिया करता था ,
अमीरी ने मुझे तन्हा बना दिया ।
सिमट गया हूँ अपने ही आवरण में ,
दौलत ने अपनों से जुदा करा दिया ।
बढ़ गयी दूरियाँ सिमटने के कगार तक ,
निन्यानवें के फेर ने कैसा उलझा दिया ?
माँ-बाप,भाई-बहन ,बच्चों से रिश्ते बदल गए ,
बस पैसे का उनसे मेरा रिश्ता बना दिया ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
गरीबी में सामूहिक जीवन जिया करता था ,
अमीरी ने मुझे तन्हा बना दिया ।
सिमट गया हूँ अपने ही आवरण में ,
दौलत ने अपनों से जुदा करा दिया ।
बढ़ गयी दूरियाँ सिमटने के कगार तक ,
निन्यानवें के फेर ने कैसा उलझा दिया ?
माँ-बाप,भाई-बहन ,बच्चों से रिश्ते बदल गए ,
बस पैसे का उनसे मेरा रिश्ता बना दिया ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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