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Monday, July 1, 2013

ashko se bhare

अश्कों से भरे नयनो में भी , प्रकाश देखता हूँ ,
दहशत भरे शहर में , शांति का प्रयास देखता हूँ ।

यह तो सच है कुछ भेडिये घूमते , इंसानों की बस्ती में ,

दरिंदों के दिलों में भी , इंसानियत की आस देखता हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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