Pages

Followers

Sunday, July 28, 2013

bachchon jaisi baat karo

बच्चों जैसी बात करो , बच्चों सा बन जाओ तुम ,
कभी खेलना ,कभी झगड़ना ,सयानापन झुठलाओ तुम ।
खुलकर हँसना ,खुलकर रोना ,कभी रूठना कभी मनाना ,
बचपन की बातों को फिर से  ,बच्चों सा दोहराओ तुम ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment