बच्चों जैसी बात करो , बच्चों सा बन जाओ तुम ,
कभी खेलना ,कभी झगड़ना ,सयानापन झुठलाओ तुम ।
खुलकर हँसना ,खुलकर रोना ,कभी रूठना कभी मनाना ,
बचपन की बातों को फिर से ,बच्चों सा दोहराओ तुम ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
कभी खेलना ,कभी झगड़ना ,सयानापन झुठलाओ तुम ।
खुलकर हँसना ,खुलकर रोना ,कभी रूठना कभी मनाना ,
बचपन की बातों को फिर से ,बच्चों सा दोहराओ तुम ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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