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Friday, July 5, 2013

bahut mushkil hai har baat ka

बहुत मुश्किल है हर बात का स्वागत करना ,
दिन को रात और रात को दिन ,बयां करना ।

कोई चारा ही नहीं मेरे पास ,बच्चों के सामने ,
सिवाय खामोश रह ,उत्पात को अनदेखा करना ।

जरुरी है बिगड़े हालात में भी मुस्करा कर रहना ,
दर्दे दिल दिखा मुश्किल यहाँ जीवन बसर करना ।

कुरेदेंगे जख्मों को हमदर्दी जताने के बहाने ,
दर्द सह लेना,मरहम का इंतज़ार ना करना ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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