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Friday, July 5, 2013

in kaagaj ke tukadon se

इन कागज़ के टुकड़ों से मुझको क्या लेना देना ,
इनकी फितरत है दोस्त को दुश्मन बना देना ।
माना बहुत कुछ मिलता है पैसे से बाज़ार में,
फ़न है इनका आदमी को भी शैतान बना देना ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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