छोटे राज्यों की मांग
मित्रों ,सादर नमस्कार
मैं आज आपका ध्यान सभी दलों की इस मांग पर दिलाना चाहता हूँ कि यह सब लोग छोटे राज्यों की मांग कर रहे हैं , कहीं वही नेता छोटे राज्यों का विरोध कर रहे हैं । कुछ लोग कि छोटे राज्यों से विकास ज्यादा होगा , मगर यह कोई नहीं बताता की किसका विकास होगा ? जिन नेताओं ने अपने सांसद या विधायक फंड उपयोग नहीं किया , वह क्या विकास करेंगे ? दूसरी बात इनमे से कोई भी नेता अपने कार्यकाल में अपने क्षेत्र में जाता तक नहीं और कुछ जो जाते हैं , उनके और आम आदमी के बीच इतनी दूरी होती है कि वह इनसे मिल भी नहीं पाता । इनमे से किसी भी नेता ने कभी भी अपने क्षेत्र का विकास का सपना ही नहीं देखा और ना वह चाहता की उसकी सत्ता समाप्त हो , सत्ता बनाये रखने के लिए जनता को अभाव में रख दाल -रोटी में उलझाए रखो , तभी तो सत्ता चलेगी ।
अगर छोटे राज्य विकास का प्रतिनिधित्व करते तो पूर्वोत्तर के सात राज्य बहुत विकसित होने चाहिए थे , और उत्तराखंड का विकास मॉडल हमारे सामने है ,कहाँ है विकास ? हाँ एक वर्ग विशेष अवश्य खुशहाल व सम्पन्न हो गया है । आम आदमी की हालत पहले से बदतर हुई है । उत्तराखंड के लोग हों या पूर्वोत्तर के लोग , सब रोजगार के लिए दुसरे राज्यों में भाग रहे हैं । यह विकास का कैसा मॉडल है ?
नया राज्य बनाने के लिए गरीबों की जमीनों को लिया जाएगा , बल्कि यूँ कहें कि प्रस्तावित क्षेत्रों में जमीने पहले ही सस्ते दामों में खरीद ली गई हैं , भवन बनाने के ठेके भी कुछ ख़ास लोगो को और जनता पर नया कर लगाया जाएगा , राज्य विकास के नाम पर ।
वही भ्रष्ट नेता , वही बेइमान अधिकारी और जनता भी वही बिना सींग की गाय , दूध देने वाली , बात विकास की , जनता के लिए ,मौज नेताओं की ।
छोटे राज्यों की वकालत का मतलब केवल कुछ लोगों की नेतागिरी बस ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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