Pages

Followers

Thursday, September 19, 2013

dharmnirpekshta

धर्मनिरपेक्ष पशु होते हैं , नहीं उनका कोई धर्म बना ,
शक्ल -सूरत और बोली , वहाँ एकता का आधार बना ।

मानव जन्म यदि लिया है , सबका अपनी जाति है ,
हर जाति के संग जुडी , धर्म की अपनी थाती है ।
अपने धर्म का पालन करना , मानव की पहचान है ,
गैरों को भी आदर देना , हिन्दुत्व का यही पैगाम है ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment