धर्मनिरपेक्ष पशु होते हैं , नहीं उनका कोई धर्म बना ,
शक्ल -सूरत और बोली , वहाँ एकता का आधार बना ।
मानव जन्म यदि लिया है , सबका अपनी जाति है ,
हर जाति के संग जुडी , धर्म की अपनी थाती है ।
अपने धर्म का पालन करना , मानव की पहचान है ,
गैरों को भी आदर देना , हिन्दुत्व का यही पैगाम है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
शक्ल -सूरत और बोली , वहाँ एकता का आधार बना ।
मानव जन्म यदि लिया है , सबका अपनी जाति है ,
हर जाति के संग जुडी , धर्म की अपनी थाती है ।
अपने धर्म का पालन करना , मानव की पहचान है ,
गैरों को भी आदर देना , हिन्दुत्व का यही पैगाम है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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