दिल है ये कोई कांच का टुकड़ा नहीं ,
चोट खायी और टूटकर बिखर गया ।
दिल है ,अपने जज्बात को काबू रखा ,
गैरों का दर्द महसूस कर पिंघलता गया ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
चोट खायी और टूटकर बिखर गया ।
दिल है ,अपने जज्बात को काबू रखा ,
गैरों का दर्द महसूस कर पिंघलता गया ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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