आज शिक्षक दिवस है , यानी गुरुजनों के प्रति आस्था ,श्रृद्धा ,स्नेह प्रकट करने का दिन।
विचार करें कि क्या आज के दौर में गुरु का महत्त्व वही रह गया है ? अगर कहीं कोई कमी है तो क्यों ?
हाँ यह भी सच है कि आज गुरुओं की बाढ़ भी आ गई है , जिनके पीछे बहुत से लोग अंधे होकर दौड़ रहे हैं।
बिना यह जाने -समझे कि इन गुरुओं का अपना उद्देश्य क्या है , हम अपना घर -परिवार भुलाकर ,धन व समय खराब कर रहे हैं। इन महान गुरुओं का दिन नहीं है आज, बल्कि शिक्षक दिवस है। शिक्षक यानी जो आपको ज्ञान दे , मार्ग दिखाए , सुबुद्धि दे। प्रशन वही है कि क्या आज शिक्षक अपने दायित्व पर खरा है ? दोष समाज को देना आसान है , मगर पहले शिक्षक को खुद का आकलन करना ही होगा।
मैंने कुछ हाइकू के माध्यम से वर्तमान समाज को प्रतिबिंबित करने का प्रयास किया है , अगर मेरे हाइकू आपको वर्तमान का दर्पण लगें तो आपका आशीर्वाद चाहूँगा। ….
कहाँ है शिक्षा
शिक्षक व शिक्षार्थी
ज़रा विचारें ?
पैसे का मेल
सब उलझा गया
ज्ञान का खेल।
नहीं बचा है
अध्यापक -छात्र में
मान सम्मान।
कैसे मिलेगा
गुरु का आशीर्वाद
जो है उदास ।
कैसे पायेगा
शिक्षक भी सम्मान
पैसा महान।
वो पास होगा
जो ट्यूशन पढेगा
घर आकर।
शिक्षक धर्म
घर पर पढ़ाना
बन गया है।
देखे जाते हैं
वो नक़ल कराते
पैसे लेकर।
शिक्षा का दान
अब कर्तव्य नहीं
केवल काम।
शिक्षा के केंद्र
व्यापार बन गए
सारे देश में।
शिक्षक -छात्रा
प्यार में मशगूल
कैसी मर्यादा।
कैसे करेंगे
ऐसे गुरु का मान
कोई बताये ?
डॉ अ कीर्तिवर्धन
विद्यालक्ष्मी निकेतन ,मुज़फ्फरनगर
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