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Wednesday, September 25, 2013

isi bhram me umr gujar di

इसी भ्रम में उम्र गुजार दी मैंने ,
कुछ पल ही सही ,प्यार से देखा था तूने ।
सी लिया होठों को , उफ़ तक ना की ,
मोहब्बत बदनाम ना हो , चाहा था हमने ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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