दोस्तों , आज मैं आपसे एक पुस्तक " मृत्यु का रहस्य " लेखक श्री स्वामी भोला नाथ जी महाराज " जो ईश्वरीय प्रेम सभा " संस्था के संस्थापक थे , के बारे में थोड़ी सी चर्चा करना चाहता हूँ । मुझे नहीं पता कि किस मित्र द्वारा मुझे यह पुस्तक भेंट दी गई थी ,मगर मैंने इसके कुछ अंश पढ़कर इसे रख दिया था, आज मेरे पुस्तकालय से यह पुस्तक अचानक मेरे सामने आ गई और मैं सब काम छोड़कर पुन: इसे पढ़ने बैठ गया ।
आज लेखक के विचार की दो बानगी पेश कर रहा हूँ , विषय बहुत अहम् है , संजीदा होकर गौर फरमाएं .....
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मृत्यु के पार से ........
जो बादाकश थे पुराने वो उठते जाते हैं ,
कहीं से आबे बकाए दवाम ले साकी ।
लेखक ने इसका अर्थ भी लिखा है ------
अफसोस पुराने बादाकश ,आगाहेराज (भेद जानने वाले ) इस दुनिया से एक एक कर उठाते जा रहे हैं । ऐ साकी , कहीं से आबेहयात ला कि जिससे फ़ना खुद फ़ना की गोद में सो जाए और चारों तरफ बक़ा , हमेशगी का समुन्दर लहराता रहे ।
सन्देश --सबको विनाश से अमरत्व की ओर ले चलो ।
आज लेखक के विचार की दो बानगी पेश कर रहा हूँ , विषय बहुत अहम् है , संजीदा होकर गौर फरमाएं .....
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मृत्यु के पार से ........
जो बादाकश थे पुराने वो उठते जाते हैं ,
कहीं से आबे बकाए दवाम ले साकी ।
लेखक ने इसका अर्थ भी लिखा है ------
अफसोस पुराने बादाकश ,आगाहेराज (भेद जानने वाले ) इस दुनिया से एक एक कर उठाते जा रहे हैं । ऐ साकी , कहीं से आबेहयात ला कि जिससे फ़ना खुद फ़ना की गोद में सो जाए और चारों तरफ बक़ा , हमेशगी का समुन्दर लहराता रहे ।
सन्देश --सबको विनाश से अमरत्व की ओर ले चलो ।
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