कल एक पत्रिका की संपादिका ने मुझसे पूछा कि ऐसे क्या कारण हैं कि समाज में कड़े कानून बनाने के बाद भी महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं ? दूसरी बात उन्होंने यह भी कही कि इसके पीछे पुरुष मानसिकता , पितृ सत्ता का कितना आधार है और महिलाओं की उन्मुक्त शैली में जीने की कोशिश का कितना योगदान कहा जा सकता है ?
मेरा मानना है कि संस्कार और संस्कृति से बिखराव ,दुराव ही इसका सबसे प्रमुख कारण है । आज़ादी के नाम पर सबसे ज्यादा आज़ादी हमने अपने संस्कार , सभ्यता व संस्कृति से ही ली है । आज हमारे बच्चों पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है , हम अपने स्वार्थ व अहंकार अथवा मजबूरी में उनकी हर गलत बात का भी समर्थन करते हैं । आज सबका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना रह गया है , नैतिकता का उसके लिए कोई महत्त्व नहीं है । आधुनिकता के नाम पर दिखावे की आदत ने ना तो हमें कहीं का भी नहीं छोड़ा और ना ही हमारी मानसिकता विदेशियों जैसी बन सकी , । और भी बहुत से कारण हैं , मैं चाहता हूँ कि आप लोग भी इस विषय पर सार्थक बहस करें और अपने विचारों से अवगत कराएं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मेरा मानना है कि संस्कार और संस्कृति से बिखराव ,दुराव ही इसका सबसे प्रमुख कारण है । आज़ादी के नाम पर सबसे ज्यादा आज़ादी हमने अपने संस्कार , सभ्यता व संस्कृति से ही ली है । आज हमारे बच्चों पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है , हम अपने स्वार्थ व अहंकार अथवा मजबूरी में उनकी हर गलत बात का भी समर्थन करते हैं । आज सबका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना रह गया है , नैतिकता का उसके लिए कोई महत्त्व नहीं है । आधुनिकता के नाम पर दिखावे की आदत ने ना तो हमें कहीं का भी नहीं छोड़ा और ना ही हमारी मानसिकता विदेशियों जैसी बन सकी , । और भी बहुत से कारण हैं , मैं चाहता हूँ कि आप लोग भी इस विषय पर सार्थक बहस करें और अपने विचारों से अवगत कराएं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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