अवगुणों को गुण बताकर, जीता नहीं है आदमी,
अपने ही हाथों जहर, कभी पीता नहीं है आदमी ।
बातें बहुत हैं, तर्क भी हैं, कुतर्क भी देता आदमी,
पाप-पुण्य सामने, पाप का गुणगान करता आदमी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
अपने ही हाथों जहर, कभी पीता नहीं है आदमी ।
बातें बहुत हैं, तर्क भी हैं, कुतर्क भी देता आदमी,
पाप-पुण्य सामने, पाप का गुणगान करता आदमी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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