Pages

Followers

Saturday, November 30, 2013

muktak manjil ki talaash

मंजिल की  तलाश में, जो लोग बढ़ गए,
मंजिलों के सरताज़, वो लोग बन गए।
बैठे रहे घर में, और फकत बात करते रहे,
मंजिलों तक पहुंचना, उनके ख्वाब बन गए।  

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment