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विज्ञान राष्ट्र कि सम्पदा है और चरित्र राष्ट्र का प्राण कहलाता है । जहां प्राण सूत्र में पिरोया हुआ रहता है और राजा व प्रजा रहती है , वह राष्ट्र बहुत सौभाग्यशाली होता है । उस राष्ट्र में पुष्पांजलियाँ होती हैं । जहां पुत्रियां निर्भय होकर राष्ट्र का भ्रमण करने वाली हों और उनको कोई भी कुदृष्टि पान करने वाला न हो , ऐसा राष्ट्र -ऐसा समाज ही स्वर्गमयी कहलाता है ।
विज्ञान का सदुपयोग होना ही राष्ट्र कि सम्पदा कहलाती है ।
( रावण इतिहास पुस्तक से )
डॉ अ कीर्तिवर्धन
विज्ञान राष्ट्र कि सम्पदा है और चरित्र राष्ट्र का प्राण कहलाता है । जहां प्राण सूत्र में पिरोया हुआ रहता है और राजा व प्रजा रहती है , वह राष्ट्र बहुत सौभाग्यशाली होता है । उस राष्ट्र में पुष्पांजलियाँ होती हैं । जहां पुत्रियां निर्भय होकर राष्ट्र का भ्रमण करने वाली हों और उनको कोई भी कुदृष्टि पान करने वाला न हो , ऐसा राष्ट्र -ऐसा समाज ही स्वर्गमयी कहलाता है ।
विज्ञान का सदुपयोग होना ही राष्ट्र कि सम्पदा कहलाती है ।
( रावण इतिहास पुस्तक से )
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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