Pages

Followers

Friday, November 22, 2013

thukaraa kar saas aur sasur ka ghar

ठुकरा कर सास-ससुर और ससुराल का घर,
जताती जो बेटी, माँ-बाप से है प्यार अमर,
बेटा भी जो छोड़ छाड़कर माँ-बाप को अपने
खुश होता ससुराल की चौखट नाक रगड़
भटकते हैं ऐसे लोग धोबी के कुत्ते के मानिंद
रह जाते हैं अक्सर तन्हां, बुढ़ापे के सफ़र पर।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment