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Tuesday, November 26, 2013

vo sapane, vo vaade, vo mausam

वो सपने, वो वादे, वो मौसम, जो ज़िंदा हैं आज भी तेरे अहसास में,
मेरी पूंजी, मेरी चाहत व धरोहर हैं, सहेजा है मैंने उन्हें दिले मंदिर में ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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