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Monday, December 9, 2013

jab khushiyan rahati mere dar par

जब खुशियां रहती मेरे दर पर, कितने सारे ख़म खाता हूँ,
क्रोध जलाता खुद को यारों, इसीलिए मैं गम खाता हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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