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Tuesday, December 10, 2013

muktak-bhookh garibi atyachar

भूख -गरीबी-अत्याचार, नेताओं का भ्रष्टाचार,
देख-देखकर कभी-कभी तो,गुस्से से मैं तन जाता हूँ।
जो बोअॊगे वही मिलेगा, सार समझ चुप हो जाता हूँ,
विनम्रता मानवता की जननी, मैं भी थोड़ा नम जाता हूँ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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