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Wednesday, December 11, 2013

muktak-mumkin hai har daur me milkar rahanaa

मुमकिन है हर दौर में मिलकर रहना,
मुमकिन है हर हालात में नफ़रत का सिमटना।
उससे भी जरुरी है आदमी का बस आदमी रहना,
समाज की बेहतरी के लिए सियासत का मिटना।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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