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Saturday, December 14, 2013

muktak -tum ho mere paas to

तुम हो मेरे पास तो मुझको किसी और का करना क्या है,
जब मृत्यु से है प्यार मुझे, जीवन से फिर डरना क्या है ?
शीश झुके ना, पीठ दिखे ना, कभी हमारी रण प्रांगण में,
रहे तिरंगा उच्च शिखर पर, धन-दौलत का करना क्या है ?

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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