१९७८ मे लिखी एक रचना भेज रहा हूँ.
एक एक क्षण बिना तुम्हारे
जैसे एक जन्म लगता है.
उलझन भरी प्रतीक्षाओं मे
जीवन एक बहम लगता है.
कभी कभी तो उ़म्र अचानक
लगती पूर्ण विराम हो गयी.
जब जब याद तुम्हारी आई
सारी नींद हराम हो गयी.
डॉ अ kirtivardhan
एक एक क्षण बिना तुम्हारे
जैसे एक जन्म लगता है.
उलझन भरी प्रतीक्षाओं मे
जीवन एक बहम लगता है.
कभी कभी तो उ़म्र अचानक
लगती पूर्ण विराम हो गयी.
जब जब याद तुम्हारी आई
सारी नींद हराम हो गयी.
डॉ अ kirtivardhan
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