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Tuesday, January 21, 2014

muktak-ghumad ghumad kaale baadalon se hamko daraate ho

घुमड़ घुमड़ काले बादलों से हमको डराते हो,
सावन की बिजलियों से, हमको डराते हो।
कजरारे नयनों के मोती,पलकों की बिजलियाँ,
हम हुस्न के सताये हैं, तुम हमको डराते हो।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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