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Wednesday, February 26, 2014

tadafataa hun din raat tere hi khayaalon me

तडफता हूँ दिन-रात, तेरे ही ख्यालो में बहुत,
ख़्वाबों में आकर रातभर, तूने तडफाया बहुत।

सामने आने पर मेरे, यूँ तेरा मुड़कर चले जाना,
तेरी बेरुखी ने उम्र भर, मुझको सताया बहुत।

रिश्तों की डॉली लिए, दर पर तेरे बैठा रहा,
खामोशियों ने, तेरी मजबूरियों को दर्शाया बहुत।

यूँ बेवफाई का इल्जाम, मुझ पर ना लगाओ,
तेरी माँ की कसमें, रोता चेहरा,सामने आया बहुत।

तेरी रुसवाई ना हो, ताउम्र यही चाहता रहा,
मेरी चाहत को तूने, बेवफा बताया बहुत।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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