क्या पशु वध शालाओं को बैन कर दिया जाना चाहिए ?
मित्रों सादर नमस्कार ,
आज यह प्रश्न क्यों ? दरअसल हुआ यह कि आज एक मुश्लिम युवक ने मेरे सामने जब मोदी की सरकार बनने पर चर्चा चल रही थी, कहा कि जिस दिन देश से यह क्त्लखाने बन्द कर दिये जाएंगे, उसी दिन से देश मे अपराध 50 % काम हो जाएंगे। उसने आगे कहा कि जिस कारखाने को 450 पशु प्रतिदिन काटने का लाईसेंस मिला है वह 1000 पशु रोज काटता है। पशुवों की उपलब्धता के अभाव मे ही गाय व बैल काटे जाते हैं। माँस का निर्यात बड़े पैमाने पर खाड़ी देशों को किया जाता है ,वहां से भारी मात्रा मे पैसा मिलता है जिसके कारण अंधाधुंध अपराधों मे वृद्धि हो रही है।
दोस्तों, मुझे यह तो पता नही कि इन तथ्यों मे कितनी सच्चाई है मगर एक मुश्लिम युवक से यह बातें सुन्कर मुझे अच्छा आवश्य लगा।
आज ही की दूसरी घटना मे एक मुश्लिम बुजुर्ग ने अपनी पीडा कुछ की " आज सारे मुसलमान हैं। मगर कोई यह नहीं जानता कि केवल मुसलमानों का एक वर्ग जिसे हम लोग कसाई कहते हैँ , सारे झगड़ों के मूल मे कसाई हीं हैं। जितना भी मुसलमान आतंकवादी घटनाओं मे पकड़ा जाता है ,उसमे से अधिकतर उसी बिरादरी के हैँ। और बदनाम सारे देश के मुस्लमान हैँ।
दोस्तों, मुझे नही पता कि इसमें भि कितनी सत्यता है मगर किसी मुश्लिम बुजुर्ग क़ी यह पीङा कुछ तो बयान करती है।
यह सच है कि अधिकतर अपराधी मुश्लिम समुदाय से हैँ मगर यह भी सत्य है कि सारे मुसलमान अपराधी नहीं हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि राष्ट्रवादी मुसलमानो का खैर मखदम करेँ। बिना वजह सब पर ही सवाल ना उठाएँ। अच्छे लोग किसी एक कौम की बपौती नही होते।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मित्रों सादर नमस्कार ,
आज यह प्रश्न क्यों ? दरअसल हुआ यह कि आज एक मुश्लिम युवक ने मेरे सामने जब मोदी की सरकार बनने पर चर्चा चल रही थी, कहा कि जिस दिन देश से यह क्त्लखाने बन्द कर दिये जाएंगे, उसी दिन से देश मे अपराध 50 % काम हो जाएंगे। उसने आगे कहा कि जिस कारखाने को 450 पशु प्रतिदिन काटने का लाईसेंस मिला है वह 1000 पशु रोज काटता है। पशुवों की उपलब्धता के अभाव मे ही गाय व बैल काटे जाते हैं। माँस का निर्यात बड़े पैमाने पर खाड़ी देशों को किया जाता है ,वहां से भारी मात्रा मे पैसा मिलता है जिसके कारण अंधाधुंध अपराधों मे वृद्धि हो रही है।
दोस्तों, मुझे यह तो पता नही कि इन तथ्यों मे कितनी सच्चाई है मगर एक मुश्लिम युवक से यह बातें सुन्कर मुझे अच्छा आवश्य लगा।
आज ही की दूसरी घटना मे एक मुश्लिम बुजुर्ग ने अपनी पीडा कुछ की " आज सारे मुसलमान हैं। मगर कोई यह नहीं जानता कि केवल मुसलमानों का एक वर्ग जिसे हम लोग कसाई कहते हैँ , सारे झगड़ों के मूल मे कसाई हीं हैं। जितना भी मुसलमान आतंकवादी घटनाओं मे पकड़ा जाता है ,उसमे से अधिकतर उसी बिरादरी के हैँ। और बदनाम सारे देश के मुस्लमान हैँ।
दोस्तों, मुझे नही पता कि इसमें भि कितनी सत्यता है मगर किसी मुश्लिम बुजुर्ग क़ी यह पीङा कुछ तो बयान करती है।
यह सच है कि अधिकतर अपराधी मुश्लिम समुदाय से हैँ मगर यह भी सत्य है कि सारे मुसलमान अपराधी नहीं हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि राष्ट्रवादी मुसलमानो का खैर मखदम करेँ। बिना वजह सब पर ही सवाल ना उठाएँ। अच्छे लोग किसी एक कौम की बपौती नही होते।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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