वर्त्तमान राजनैतिक सन्दर्भों में --------
होगा ग़ुमां बहुत हवाओं को अपने जोर पर,
होगा दर्प बहुत बादलों को अपने शोर पर।
रातभर तम इठलाता रहा,अपने वुजूद पर,
मेरा भरोसा बढता गया रोशनी और भोर पर।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
होगा ग़ुमां बहुत हवाओं को अपने जोर पर,
होगा दर्प बहुत बादलों को अपने शोर पर।
रातभर तम इठलाता रहा,अपने वुजूद पर,
मेरा भरोसा बढता गया रोशनी और भोर पर।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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