कुंडली के मर्मज्ञ बने, नित-नित लिखते बात,
सुख-दुःख भी सबका लिखें, लिखें घात-प्रतिघात।
लिखें घात-प्रतिघात, किशोरे जी बने चितेरे,
चुनाव का अवसर और देखे रंग बदलते चहरे।
कहे "कीर्ति कवि" , चर्चित बस चाटुकारी मंडली,
बातों- बातों में हमने भी लिख है डाली कुंडली।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
सुख-दुःख भी सबका लिखें, लिखें घात-प्रतिघात।
लिखें घात-प्रतिघात, किशोरे जी बने चितेरे,
चुनाव का अवसर और देखे रंग बदलते चहरे।
कहे "कीर्ति कवि" , चर्चित बस चाटुकारी मंडली,
बातों- बातों में हमने भी लिख है डाली कुंडली।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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